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गालियां-गोलियां, माफिया, वायलेंस के साथ नहीं लंबी-खिंचती स्टोरी है गैंग्स ऑफ वासेपुर. अनुराग कश्यप की मोस्ट अवेटेड मूवी ”गैंग्स ऑफ वासेपुर” रिलीज से पहले तो सुर्खियों में तो थी ही, रिलीज के बाद भी चर्चा जरूर होगी. शुक्रवार को फिल्म के फिल्म के रिलीज होने से पहले राजधानी पटना के सिनेमाघरों के पहले दिन की टिकटें आधी से अधिक बिक चुकी थी, रिलीज डेट पर यह आंकड़ा हाउसफुल तक पहुंच गया. देखने वालों में इक्का-दुक्का अंकल-आंटियों को छोड़ दें तो ज्यादातर यंगस्टर्स ही थे. फिल्म में वो सबकुछ था जिससे सीटियां बजी, हल्ला-गुल्ला चला. लेकिन जिसने व्यूअर्स को बांधे रखा, वह रहा अच्छे एक्टर्स की लंबी फौज और फिल्म के प्रोमो में दिखाए जाने वाले सीन-गानों का इंतजार…
गालियों का रिकार्ड
वासेपुर की कहानी दिखाने में अनुराग कश्यप रियलिटी को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया है. फिल्म की स्टोरी रियलिटी के कितने पास है, इसे तो वासेपुर के लोगों के विरोध ने बता दिया है लेकिन फिल्म के वल्गर डायलॉग्स ने एक नया रिकार्ड बनाया है. फिल्म की शुरुआत गोलियों की बौछार से होती है लेकिन उसके गालियों की बौछार आखिर तक चलती रहती है. गालियों के मामले में पांच साल पुरानी ‘ओमकाराÓ और रीसेंट फिल्म ‘देल्ही बेलीÓ से कहीं आगे निकल गयी है, गैंग्स ऑफ वासेपुर.
गुड पैकेज विद बैड इंग्रीडेंट्स
गैंग्स ऑफ वासेपुर एक कंप्लीट एंटरटेनिंग मूवी है, जिसमें हर मसाला मौजूद है. गालियों के साथ मार-धाड़ का एक्स्ट्रा डोज होने के बावजूद स्नेहा खानवलकर का हटके बेहतरीन म्यूजिक, बेहतरीन एक्टिंग, लंबी होने के बावजूद फिल्म के साथ बांधे रखने वाला डायरेक्शन, गैंग्स ऑफ वासेपुर को पैसा वसूल बनाता है…
क्यों देखें गैंग्स ऑफ वासेपुर
* अगर मनोज वाजपेयी, तिगमांशु धुलिया, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, जयदीप अहलावत सहित सभी एक्टर्स की बेहतरीन एक्टिंग देखनी हो
* माफिया-डॉन सरीखी मूवीज पसंद हों
* कुछ अलग म्यूजिक देखने के शौकीन हों
* फिल्मों में गंदी गालियों से परहेज ना हो
क्यों ना देखें गैंग्स ऑफ वासेपुर
* लंबी स्टारकास्ट, जिससे स्टोरी कंफ्यूजिंग बन गयी है
* फिल्म में हद से अधिक गालियां और हिंसा
* हल्की मूवी देखने के शौकीन हों
* गर्ल फ्रेंड या वाइफ को मूवी दिखाना हो
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